अस्थायी निषेधाज्ञा या वादकालीन निषेधाज्ञा
अस्थायी निषेधाज्ञा या वादकालीन निषेधाज्ञा
स्थगन आदेश कैसे प्राप्त कर सकते हैं -
स्थगन आदेश का मतलब यह है कि जिस काम पर रोक लगा दी गई है स्थगन आदेश के पारित होने की तिथि से स्थिर रहेगा, और इसका मतलब यह नहीं है कि आदेश अस्तित्व से बाहर है। कार्यवाही पर पूरी तरह से या सशर्त रूप से रोक लगा दी जा सकती है। अदालत निहित शक्तियों अस्थायी रूप से किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा सकती है।
प्रॉपर्टी पर निर्माण पर स्थगन आदेश -
अदालत आदेश दे सकती है और अस्थायी निषेधाज्ञा प्रदान कर सकती है कि अमूक सम्पत्ति पर न्यायालय के आगामी आदेश तक कोई निर्माण कार्य नहीं किया जावेगा, और सम्पत्ति जिस अवस्था में वैसी ही अवस्था में रहेगी, न्यायालय का सम्पूर्ण समाधान होने पर आगामी आदेश प्रदान किया जावेगा, और प्रकरण के अंतिम निराकरण तक अमूक व्यक्ति या उसका कोई अभिकर्ता निर्माण कार्य नहीं करेगा। अदालत इस तरह के कृत्य को नियंत्रित करने के लिए अन्य आदेश दे सकती है प्रॉपर्टी की बिक्री, हटाने या हानिकारक गतिविधि को रोकने के लिए, निपटारे तक या अगले आदेश तक स्टे लिया जा सकता है।स्थगन आदेश के लिए महत्वपूर्ण तथ्य -
स्थगन आदेश के लिए तीन महत्वपूर्ण तथ्य माने गये हैं - (1) प्रथम दृष्टया प्रकरण (2) सुविधा का संतुलन (3) अपूर्णीय क्षति इन तत्वों को हम विस्तार से समझेंगे-
प्रथम दृष्टया प्रकरण -
जो पक्ष स्थगन आदेश चाहता है उसका मामला प्रथम दृष्टि में ऐसा दिखना चाहिए कि, वास्तव में मामला स्थगन आदेश चाहने वाले के पक्ष में ही प्रबल है, और प्रथम दृष्टि में ही न्यायालय को ऐसा आभास हो जाना चाहिए दस्तावेज के आधार पर एवं प्रकरण में आई साक्ष्य के आधार मामला देखने में स्थगन चाहने वाले के पक्ष में है।
सुविधा का संतुलन -
जो पक्ष स्थगन आदेश चाहता है, वास्तव में सुविधा का संतुलन स्थगन चाहने वाले के पक्ष में होना चाहिए जैसे सम्पत्ति स्थगन चाहने वाले के कब्जे हो, अगर खेत हो तो उसमें स्थगन चाहने वाले व्यक्ति की फसल खडी हो, या अन्य कोई भी स्थिति हो सकती है, जिसमें सुविधा का संतुलन स्थगन चाहने वाले के पक्ष में प्रमाणित होना चाहिए।
अपूर्णीय क्षति -
जो पक्ष स्थगन आदेश चाहता है, उसे ऐसी आंशका होना चाहिए कि, यदि न्यायालय द्वारा स्थगन आदेश नहीं दिया गया तो स्थगन चाहने वाले को ऐसी क्षति होगी जिसकी पूर्ति भविष्य में धन के रूप में नहीं की जा सकेगी।
इन तीनों तथ्यों का उल्लेख स्थगन चाहने वाले पक्ष को अपने स्थगन आवेदन में करना आवश्यक है, और यह भी बताना आवश्यक है कि, किस प्रकार से उसका मामला प्रथम दृष्टया प्रबल है, किस प्रकार से सुविधा का संतुलन उसके पक्ष में है, और यदि स्थगन आदेश नहीं दिया गया तो स्थगन चाहने वाले को ऐसी क्षति होगी जिसकी पूर्ति भविष्य में धन के रूप में नहीं की जा सकेगी। इन सभी तथ्यों को प्रमाणित करने का भार भी स्थगन चाहने वाले के पक्ष में होता है।
इन तीनों तथ्यों का उल्लेख स्थगन चाहने वाले पक्ष को अपने स्थगन आवेदन में करना आवश्यक है, और यह भी बताना आवश्यक है कि, किस प्रकार से उसका मामला प्रथम दृष्टया प्रबल है, किस प्रकार से सुविधा का संतुलन उसके पक्ष में है, और यदि स्थगन आदेश नहीं दिया गया तो स्थगन चाहने वाले को ऐसी क्षति होगी जिसकी पूर्ति भविष्य में धन के रूप में नहीं की जा सकेगी। इन सभी तथ्यों को प्रमाणित करने का भार भी स्थगन चाहने वाले के पक्ष में होता है।
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